संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया: धनराज

Sponsor Area

Question
CBSEENHN7000422

साक्षात्कार पढ़कर आपके मन में धनराज पिल्लै की कैसी छवि उभरती है? वर्णन कीजिए।

Solution

जैसे कि साक्षात्कार में उल्लेख किया गया है, धनराज पिल्लै दुबली कद-काठी के हैं। वे बहुत जुझारू स्वभाव के हैं व अपने आपको बहुत असुरक्षित महसूस करते हैं। बचपन का समय संघर्षपूर्ण होने के कारण वे तुनुकमिज़ाजी हैं। इन्हें गुस्सा अधिक आता है। वे अपने घर परिवार की बहुत इज्ज़त करते हैं। पहले वे अपनी पढ़ाई-लिखाई को लेकर खुद को हीन समझते थे, लेकिन बाद में हॉकी से मिली प्रसिद्धि के बाद उन्हें खुद पर गर्व है।

Sponsor Area

Question
CBSEENHN7000423

धनराज पिल्लै ने ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा तय की है। लगभग सौ शब्दों में इस सफ़र का वर्णन कीजिए।

Solution

धनराज पिल्लै का ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने की यात्रा अत्यंत संघर्षपूर्ण रही। इनका बचपन मुश्किलों से भरा था। गरीब परिवार से होने के कारण इनके पास अपनी हॉकी स्टिक तक नहीं थी। हॉकी खेलने के लिए इन्हें अपने साथियों से उधार पर हॉकी स्टिक माँगनी पड़ती थी, और वो भी उन्हें तब मिलती थी जब उनके साथी खेल चुके होते थे। इन्हें अपने जीवन की पहली हॉकी स्टिक तब मिली जब इनके बड़े भाई का भारतीय कैंप के लिए चयन हुआ। तब इनके भाई ने अपनी पुरानी हॉकी स्टिक इन्हे दी। मात्र 16 साल की उम्र में इन्होनें जूनियर राष्ट्रीय हॉकी सन् 1985 में मणिपुर में खेली। 1986 में इन्हें सीनियर टीम में डाल दिया गया । इन्होनें सबसे पहले कृत्रिम घास तब देखी जब ये 1988 में नेशनल्स में भाग लेने दिल्ली आए। इनकी पहली गाड़ी एक सेकेंड हैंड अरमाडा थी। काफ़ी नामी खिलाड़ी बनने के बाद भी इन्हें लोकल ट्रेनों तथा बसों में सफ़र करना पड़ता था। 1999 में महाराष्ट्र सरकार ने इन्हें पवई में एक फ़्लैट दिया और सन् 2000 में इन्होनें अपनी फ़ोर्ड आईकॉन खरीदी।

Question
CBSEENHN7000424

‘मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से सँभालने की सीख दी है’-धनराज पिल्लै की इस बात का क्या अर्थ है?

Solution

सफलता से लोग प्राय: घंमड में अंधे हो जाते हैं। इसलिए धनराज पिल्लै की माँ ने उन्हें विनम्र रहने की सीख दी है। बड़ी-से-बड़ी कठिनाईयों को विन्रमता से हल किया जा सकता है। आदमी कितना भी बड़ा हो जाए, घमंड नहीं करना चाहिए। बल्कि, विनम्र ही रहना चाहिए जैसे फल से लदा एक पेड़ झुका रहता है।

Question
CBSEENHN7000425

ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। क्यों? पता लगाइए।

Solution

ध्यानचंद हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी थे। वे हॉकी स्टिक और बॉल के साथ इस तरह खेलते थे मानो कोई करिश्मा है। इसलिए इन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता है।