शुक्रतारे के सामान - स्वामी आनंद

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Question
CBSEENHN9000635

निम्नलिखित गद्यांशों का पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
आकाश के तारों में शुक्र की कोई जोड़ नहीं। शुक्र चंद्र का साथी माना जाता है। उसकी आभा-प्रभा का वर्णन करने में संसार के कवि थके नहीं। फिर भी नक्षत्र मंडल में कलगी-रूप इस तेजस्वी तारे को दुनिया या तो ऐन शाम के समय, बड़े सवेरे घंटे-दो घंटे से अधिक देख नहीं पाती। इसी तरह भाई महादेव जी आधुनिक भारत की स्वतंत्रता के उषाकाल में अपनी वैसी ही आभा से हमारे आकाश को जगमगाकर, देश और दुनिया को मुग्ध करके, शुक्रतारे की तरह ही अचानक अस्त हो गए। सेवाधर्म का पालन करने के लिए इस धरती पर जनमे स्वर्गीय महादेव देसाई गांधीजी के मंत्री थे। मित्रों के बीच विनोद में अपने को गांधीजी का ‘हम्माल’ कहने में और कभी-कभी अपना परिचय उनके ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देने में वे का गौरव अनुभव किया करते थे।
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो?
(ख) महादेव जी आधुनिक भारत की स्वतंत्रता के उषाकाल में ही विदा हो गए। अर्थ स्पष्ट करें।
(ग) महादेव की तुलना शुक्रतारे से क्यों की गई है?
(घ) महादेव जी अपना परिचय किस प्रकार देते थे?


Solution

(क) पाठ-शुक्रतारे के समान, लेखक-स्वामी आनन्द।
(ख) महादेव जी, गांधीजी के साथ भारत के स्वतंत्रता-आन्दोलन से जुड़े हुए थे। भारत की स्वतंत्रता रूपी सुबह होने ही वाली थी। अचानक महादेव जी का देहांत हो गया। इसलिए लेखक ने ऐसा कहा है।
(ग) जिस प्रकार शुक्रतारा थोड़े से समय में ही आकाश में अपनी चमक बिखेरकर अस्त हो जाता है उसी प्रकार महादेव भी अपने थोड़े से जीवन में ही अपनी कार्यशैली से दुनिया को प्रभावित कर गए। इसी कारण महादेव की शुक्रतारे से तुलना की गई है।
(घ) महादेव जी अपने मित्रों के बीच विनोद करते हुए अपने आपको गांधीजी का ‘हम्माल’ कहने में और कभी-कभी अपना परिचय उनके ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देने में वे गौरव का अनुभव किया करते थे।

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Question
CBSEENHN9000636

निम्नलिखित गद्यांशों का पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
इसके अलावा महादेव, देश-विदेश के अग्रगण्य समाचार-पत्र, जो आँखों में तेल डालकर गांधीजी की प्रतिदिन की गतिविधियों को देखा करते थे और उन पर बराबर टीका-टिप्पणी करते रहते थे, उनको आड़े हाथों लेने ठाले लेख भी समय-समय पर लिखा करते थे। बेजोड़ कॉलम, भरपूर चौकसाई, ऊँचे-से-ऊँचे ब्रिटिश समाचार-पत्रों की परंपराओं को अपनाकर चलने का गांधीजी का आग्रह और कट्‌टर से कट्‌टर विरोधियों के साथ भी पूरी-पूरी सत्यनिष्ठा में से उत्पन्न होनेवाली विनय-विवेक-युक्त विवाद करने की गांधीजी की तालीम इन सब गुणों ने तीव्र मतभेदों और विरोधी प्रचार के बीच भी देश-विदेश के सारे समाचार-पत्रों की दुनिया में और एंग्लो-इंडियन समाचार-पत्रों के बीच भी व्यक्तिगत रूप से एम.डी. को सबका लाडला बना दिया था।
प्रशन
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
(ख) ‘आँखों में तेल डालकर’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
(ग) अन्य समाचार-पत्र गांधीजी के विरुद्ध क्या करते थे?
(घ) महादेव किन गुणों के कारण सबके लाड़ले बन गए?

Solution

(क) पाठ-शुक्रतारे के समान, लेखक-स्वामी आनन्द।
(ख) इसका अर्थ है पैनी नजरों से जाँच-पड़ताल करना। सावधानी से किसी बात में गलती खोजना।
(ग) अन्य समाचार-पत्र गांधीजी की लोकप्रियता से डरते थे। वे हमेशा गांधीजी के बारे में उल्टा-सीधा लिखते रहते थे। ये समाचार-पत्र गांधीजी की गतिविधियों पर तीखी नजर रखते थे।
(घ) गांधीजी के मार्गदर्शन और शत्रु के साथ भी विनम्रता से विवाद करने की शिक्षा ने समाचार-पत्रों की दुनिया में महादेव भाई को सबका लाडला बना दिया।

Question
CBSEENHN9000637

निम्नलिखित गद्यांशों का पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
बड़े-बड़े देशी-विदेशी राजपुरुष, राजनीतिज्ञ, देश-विदेश के अग्रगण्य समाचार-पत्रों के प्रतिनिधि, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के संचालक, पादरी, ग्रंथकार आदि गांधीजी से मिलने के लिए आते थे। ये लोग खुद या इनके साथी-संगी भी गांधीजी के साथ बातचीत को ‘शार्टहैंड’ में लिखा करते थे। महादेव एक कोने में बैठे-बैठे अपनी लंबी लिखावट में सारी चर्चा को लिखते रहते थे। मुलाकात के लिए आए हुए लोग अपनी मुकाम पर जाकर सारी बाचतीत को टाइप करके जब उसे गांधीजी के पास ‘ओके’ करवाने के लिए पहुँचते, तो भले ही उनमें कुछ भूलें या कमियाँ-खामियाँ मिल जाए, लेकिन महादेव की डायरी में या नोट-बही में मजाल है कि कॉमा मात्र की भी भूल मिल जाए।
प्रशन:
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
(ख) गांधीजी से मिलने कौन-कौन लोग आते थे?
(ग) महादेव जी कोने में बैठे इन लोगों की गांधीजी के साथ बातचीत को कैसे लिखते थे?
(घ) मुलाकातियों के साथ आए आदमी बातचीत को कैसे नोट करते थे?

Solution

(क) पाठ-शुक्रतारे के समान, लेखक-स्वामी आनन्द।
(ख) गांधीजी से मिलने के लिए बड़े-बड़े देशी-विदेशी राजपुरुष, राजनीतिज्ञ, देश-विदेश के अग्रगण्य समाचार पत्रों के प्रतिनिधि, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के संचालक, पादरी, ग्रंथकार आदि आते थे।
(ग) महादेव को ईश्वर की ओर से यह गुण मिला था कि वे तेज गति से बिना गलती किए लंबी बातचीत को कागज में उतार सकते थे। वे कोने में बैठे बातचीत को लिखावट में लिखते रहते थे।
(घ) मुलाकातियों के साथ आए हुए आदमी गांधीजी की बातचीत को शार्टहैंड विधि से नोट करते थे। वे बाद में उसे टाइप करते थे।

Question
CBSEENHN9000638

निम्नलिखित गद्यांशों का पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
बिहार और उत्तर प्रदेश के हज़ारो मील लंबे मैदान गंगा, यमुना और दूसरी नदियों के परम उपकारी, सोने की कीमत वाले ‘गाद’ के बने हैं। आप सौ-सौ कोस चल लीजिये रास्ते में सुपारी फोड़ने लायक एक पत्थर भी कहीं मिलेगा नहीं। इसी तरह महादेव के संपर्क में आने वाले किसी को भी ठेस या ठोकर की बात तो दूर रही, खुरदरी मिट्‌टी या कंकरी भी कभी चुभती नहीं थी। उनकी निर्मल प्रतिभा उनके संपर्क में आने वाले व्यक्ति को चंद्र-शुक्र की प्रभा के साथ दूधों नहला देती थी। उसमें सराबोर होने वाले के मन में उनकी इस मोहिनी का नशा कई-कई दिन तक उतरता न था।
प्रशन:
(क)  पाठ तथा लेखक का नाम लिखो?
(ख) इस गद्यांश में प्रयुक्त ‘सोने की कीमत वाले गाद’ का क्या अर्थ है?
(ग) लेखक ने महादेव की तुलना उत्तर प्रदेश तथा बिहार के मैदान से क्यों की है?
(घ) महादेव भाई को मुलाकाती क्यों हमेशा याद रखते थे?

Solution

(क) पाठ-शुक्रतारे के समान, लेखक-स्वामी आनन्द।
(ख) ‘सोने की कीमत वाले गाद’ से लेखक का अर्थ उपजाऊ जमीन से है। गंगा-जमुना का मैदान इतना उपजाऊ है कि यहाँ भरपूर फसल पैदा होती है। इसी को लेखक ने ‘सोने की कीमत वाले गाद’ कहा है।
(ग) लेखक के अनुसार जिस प्रकार इन मैदानों में बिना किसी कठिनाई के खेती की जा सकती है उसी प्रकार महादेव जी के सम्पर्क में आने वालों को उनकी किसी बात से ठेस नहीं लगती थी। क्योंकि महादेव का जीवन अत्यंत सरल था।
(घ) महादेव भाई से मिलने वाले उन्हें इसलिए याद करते थे क्योंकि वे उन्हें बड़े प्रेम से मिलते थे। लोगों को इस बात का अहसास ही नहीं होता था कि वे किसी दूसरे व्यक्ति से मिल रहे हैं। इसी अपनेपन के कारण लोग उन्हें याद रखते थे।