धर्म की आड़ - गणेशशंकर विद्यार्थी

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Question
CBSEENHN9000602

निन्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिए-
इस समय, देश में धर्म की धूम है। उत्पाद किए जाते हैं, तो धर्म और ईमान के नाम पर, और जिद की जाती है, तो धर्म और ईमान के नाम पर। रमुआ पासी और बुद्धू मियाँ धर्म और ईमान को जानें, या न जानें, परंतु उनके नाम पर उबल पड़ते हैं और जान लेने और जान देने के लिए तैयार हो जाते हैं। 
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
(ख) धर्म के नाम पर ज़िद क्यों की जाती है?
(ग) धर्म के नाम पर दंगे क्यों होते हैं।
(घ) देश में धर्म की धूम कैसे है?


Solution

(क) पाठ-धर्म की आड़, लेखक-गणेशशंकर विद्यार्थी।
(ख) धर्म का विषय बड़ा संवेदनशील है विभिन्न समुदायों के लोग भिन्न-भिन्न धर्मों को मानने वाले है। हर व्यक्ति का अपना धर्म होता है। धार्मिक लोगों की आस्था इतनी गहरी, दृढ़ और कट्‌टर होती है कि वे उसके नाम पर मरने-मिटने को तैयार हो जाते है। यहाँ तक कि धर्म का नाम लेकर अपनी बात पर अड़ जाते हैं।
(ग) विभिन्न धर्मों को मानने वाले अपने धर्म को श्रेष्ठ बताने के चक्कर में दंगा-फसाद शुरू कर देते है उनमें मरने-मारने की भावना होता है। यह भावना धर्म गुरूओं द्वारा भड़काई जाती है।
(घ) देश में धर्म की धूम है। हर जगह धर्म के नाम पर आस्था रखने वाले, मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे, जाने वाले मिल जाते हैं। चाहे वे धर्म का अर्थ न समझते हो किन्तु धर्म के नाम पर होने वाले गतिविधियों में बढ़चढ़कर भाग लेते हैं।

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Question
CBSEENHN9000603

निन्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिए-
हमारे देश में, इस समय, धनपतियों का इतना ज़ोर नहीं है। यहाँ, धर्म के नाम पर, कुछ इने-गिने आदमी अपने हीन स्वार्थों की सिद्धि के लिए, करोड़ों आदमियों की शक्ति का दुरुपयोग किया करते हैं। गरीबों का धनाढ्यों द्वारा चूसा जाना इतना बुरा नहीं है, जितना बुरा यह है कि वहाँ है धन की मार, यहाँ है बुद्धि पर मार। वहाँ धन दिखाकर करोड़ों को वश में किया जाता है, और फिर मन-माना धन पैदा करने के लिए जोत दिया जाता है। यहाँ है बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर, धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना-भिड़ाना। 
प्रशन:
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो
(ख) इस देश में गरीबों का शोषण बुरा क्यों नहीं है?
(ग) बुद्धि की मार से क्या अभिप्राय है?
(घ) धर्म के नाम पर कौन-कौन लोगों का शोषण करते हैं?

Solution

(क) पाठ-धर्म की आड़, लेखक-गणेशशंकर विद्यार्थी।
(ख) इस देश में गरीब आदमी की सोच इतनी विकसित नहीं है। वह परंपरा से चली आ रही प्रथाओं का पालन करने में खुश रहते हैं। यहीं रोटी के लिए सब कुछ होता है।
(ग) बुद्धि की मार का अर्थ है दिमाग की सोच। सोच-विचार कर कार्य न करना। नेता या महंत लोगों की धार्मिक भावना को भड़काकर अपना स्वार्थ सिद्धि करते है यही कूटनीति बुद्धि की मार है।
(घ) धर्म के नाम पर नेता, मठाधीश, आतंकवादी और धूर्त लोग लोगों का शोषण करते है।

Question
CBSEENHN9000604

निन्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिए-
अजाँ देने, शंख बजाने, नाक दाबने और नमाज़ पढ़ने का नाम धर्म नहीं है। शुद्धाचरण और सदाचार ही धर्म के स्पष्ट चिहन हैं। दो घंटे तक बैठकर पूजा कीजिए और पंच-वक्ता नमाज भी अदा कीजिए, परंतु ईश्वर को इस प्रकार रिश्वत के दे चुकने के पश्चात्, यदि आप अपने को दिन-भर बेईमानी करने और दूसरों को तकलीफ़ पहुँचाने के लिए आज़ाद समझते हैं तो, इस धर्म को, अब आगे आने वाला समय कदापि नहीं टिकने देगा। अब तो, आपका पूजा-पाठ न देखा जाएगा, आपकी भलमनसाहत की कसौटी केवल आपका आचरण होगी। सबके कल्याण की दृष्टि से, आपको अपने आचरण को सुधारना पड़ेगा और यदि आप अपने आचरण को नहीं सुधारेंगे तो नमाज़ और रोज़े, पूजा और गायत्री आपको देश के अन्य लोगों की आज़ादी को रौंदने और देश-भर में उत्पातों का कीचड़ उछालने के लिए आज़ाद न छोड़ सकेगी।
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो
(ख) किन कामों को धर्म नहीं कहा जा सकता?
(ग) आने वाला समय किस धर्म को नहीं टिकने देना?
(घ) भलमनसाहत शब्द का अर्थ स्पष्ट करो

Solution

(क) पाठ-धर्म की आड़, लेखक-गणेशशंकर विद्यार्थी।
(ख) अजाँ देने, शंख बजाने, नाक दाबने और नमाज पढ़ने जैसे कामों को धर्म नहीं कहा जा सकता।
(ग) आने वाला समय उस धर्म को नहीं टिकने देगा जहाँ ईश्वर को रिश्वत देकर उसे खुश किया जाए और दिन भर बेईमानी करके दूसरों को तकलीफ पहुँचाई जाती है, तब पूजा पाठ को नहीं देखा जाएगा।
(घ) भलमनसाहत का अर्थ है-सज्जनता, शराफत, अच्छे स्वभाव वाला। भलमनसाहत की कसौटी केवल व्यक्ति का आचरण होता है। इसमें सबके कल्याण की भावना नीहित रहती है। आचरण न सुधारने पर अन्य सब बातें बेकार जाएंगी।

Question
CBSEENHN9000605

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
आज धर्म के नाम पर क्या-क्या हो रहा हैं?

Solution

आज धर्म के नाम पर नेता, आतंकवादी और धूर्त, लोगों का शोषण करते हैं। धर्म के नाम पर दंगे फसाद किए जाते है। ज़िद की जाती है और धर्म के नाम पर उत्पाद किए जाते हैं।