निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं। प्राय: पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्जा निश्चित करती है। वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाजे खोल देती है, परंतु कभी ऐसी भी परिस्थिति आ जाती है कि हम ज़रा नीचे झुककर समाज की निचली श्रेणियों को अनुभूति को समझना चाहते हैं। उस समय यह पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है। जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो?
(ख) पोशाकें मनुष्य को कैसे बाँटती है?
(ग) पोशाक से मनुष्य के बद दरवाजे किस प्रकार खुलते है?
(घ) पोशाक कब अड़चन बन जाती है?
(क) पाठ-दुःख का अधिकार, लेखक-यशपाल।
(ख) पोशाकें मनुष्य को विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती है। ये पोशाकें ही मनुष्य को उसका अधिकार दिलाती है तथा समाज में उसका दर्जा निश्चित करती है। यदि कोई व्यक्ति अच्छी, महंगी, चमकदार पोशाक पहनता है तो वह अमीर और उच्च वर्ग का माना जाता है। साधारण पोशाक पहनने वाला गरीब व निम्न वर्ग का माना जाता है।
(ग) अच्छी पोशाक पहनने से मनुष्य के बंद दरवाजे खुल जाते है। समाज मे अच्छी पोशाक पहनने वाले को भला आदमी माना जाता है। उसका आदर-सत्कार किया जाता है। किसी दफत्तर आदि में जाता है तो उसकी बात ध्यान से सुनी जाती है।
(घ) जब हम समाज की निम्न श्रेणी के दुःख को देखकर झुकना चाहते है। अर्थात् उसके दुःख का कारण जानना चाहते है तो उच्च भावना के कारण झुक नहीं पाते। उन लोगों के साथ खुलकर बात नहीं कर पाते। तब यह पोशाक हमारे सामने रूकावट बन जाती है।