आदमीनामा - नज़ीर अकबराबादी

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Question
CBSEENHN9000798

निम्नलिखत प्रशनों के उत्तर दीजिए-
पहले छदं में कवि की दृष्टि आदमी के किन-किन रूपों का बखान करती है? क्रम से लिखिए।

Solution

पहले छंद में कवि की दृष्टि मानव के निम्नलिखित रूपों का बखान करती है:
बादशाह, गरीब व दरिद्र, मालदार, एकदम कमजोर मनुष्य का, स्वादिष्ट भोजन करने वाले का, सूखी रोटियाँ चबाने वाले मनुष्य का।

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Question
CBSEENHN9000799

निम्नलिखत प्रशनों के उत्तर दीजिए-
चारों छदं में कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक रूपों को परस्पर किन-किन रूपों में रखा है? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।

Solution

कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूपों का तुलनात्मक प्रस्तुतीकरण किया है वे रूप इस प्रकार हैं:
सकारात्मक                         नकारात्मक
बादशाह                            दीन-दरिद्र
मालदार                             कमज़ोर
स्वादिष्ट भोजन खाता इन्सान       सूखी रोटियाँ खाता इन्सान
चोर पर निगाह करने वाला         जूतियाँ चुराने वाला
जान न्यौछावर करने वाला          जान लेने वाला
सहायता करने वाला                अपमान करने वाला
शरीफ़ लोग                         कमीने लोग
अच्छे लोग                           बुरे लोग।

Question
CBSEENHN9000800

निम्नलिखत प्रशनों के उत्तर दीजिए-
‘आदमी नामा’ शीर्षक कविता के इन अंशों को पढ़कर आपके मन में मनुष्य के प्रति क्या धारणा बनती हैं?

Solution

‘आदमी नामा’ शीर्षक कविता को पढ़कर’ हमारे मन में मनुष्य के प्रति यही छवि बनती है कि संसार में अनेक प्रकार के अच्छे व बुरे दोनों तरह के कार्य करने वाले होते हैं। मनुष्य परिस्थितियों और भाग्य का दास होता है। उसकी परिस्थितियाँ ही उसे बादशाह बनाती हैं या फकीर बना देती हैं। मनुष्य शैतान भी है और फरिश्ते भी, धनी भी और निर्धन भी, अच्छे भी और बुरे भी; साधु भी और चोर भी, गुरू भी, शिष्य भी, कुर्बानी देने वाले भी और कुर्बानी लेने वाला मनुष्य भी इस संसार में है। मनुष्यों की इस विषमता के कारण ही संसार में पाप भी है और पुण्य भी। धर्म भी है और अधर्म भी।

Question
CBSEENHN9000801

निम्नलिखत प्रशनों के उत्तर दीजिए-
इस कविता का कौन-सा भाग आपको सबसे अच्छा लगा और क्यों?

Solution

इस कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ मुझे अच्छी लगी हैं
‘अच्छा भी आदमी ही कहाता है ए नजीर
और सबमें जो बुरा है सो है वो भी आदमीं’
यह पंक्तियाँ मुझे इसलिए अच्छी लगी हैं क्योंकि इन पंक्तियों से यह प्रेरणा मिलती है कि हमें सद्‌गुणों को अपना कर अच्छा आदमी बनना है। हमें बुराईयों का त्याग कर देना चाहिए। बुराइयाँ व्यक्ति को बुरा आदमी बना जाती है। समाज में अच्छे आदमी का ही आदर होता है, बुरे का नहीं।