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मेरे संग की औरतें
लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं?
लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे निम्न कारणों से प्रभावित थीं -
1. लेखिका की नानी अपनी बेटी का विवाह एक क्रांतिकारी से करने की इच्छुक थी इसलिए नानी ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में प्रसिद्ध क्रांतिकारी प्यारेलाल शर्मा से भेंट की थी । उस भेंट में उन्होंने यह इच्छा प्रकट की थी कि वे अपनी बेटी की शादी किसी क्रांतिकारी से करवाना चाहती है। इस घटना से उनका देश के प्रति अटूट प्रेम पता चलता है ।
2. जीवन-भर परदे में रहकर भी उन्होंने किसी पर-पुरुष से मिलने की हिम्मत की। इससे उनके साहसी व्यक्तित्व और मन में सुलगती स्वतंत्रता की भावना का पता चला।
3. लेखिका की नानी भले अनपढ़, पुराने ढंग और हमेशा परदे में रहने वाली महिला रहीं हो परन्तु अपनी निजी जिंदगी में वे आजाद विचारों वाली महिला थीं।
लेखिका की नानी आज़ादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही?
लेखिका की नानी की वैसे तो प्रत्यक्ष रूप से आज़ादी के आन्दोलन में किसी प्रकार की भागीदारी नहीं रही पर उन्होंने स्वतंत्रता की भावना को मन-ही-मन पनपने दिया। उन्होंने कभी अंग्रेजियत को स्वीकारा नहीं। जबकि उनके पति अंग्रेजों के भक्त थे, फिर भी नानी ने कभी अंग्रेजों की जीवन शैली को अपनाया नहीं । नानी ने अपनी बेटी की शादी क्रांतिकारी से करने की इच्छा व्यक्त की जिससे उनके देश प्रेम की भावना का ही पता चलता है । उनका सबसे बड़ा योगदान यह है कि अपने बच्चों को इस विवाह की घटना से अँग्रेज-भक्तों से मुक्त करा लिया और देश के क्रांतिकारियों को भी बड़ी प्रेरणा प्रदान की । इस तरह अप्रत्यक्ष रूप से लेखिका की नानी की स्वतंत्रता आन्दोलन में भागी दारी रही है।
लेखिका की माँ परम्परा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी। इस कथन के आलोक में -
लेखिका की माँ की विशेषताएँ लिखिए ।
1. लेखिका की माँ दुबली-पतली, नाजुक, सुंदर और स्वतंत्र विचारों की महिला थीं।
2. लेखिका की माँ गोपनीय बातों को प्रकट न करना, सत्यवादी, ईमानदार, आज़ादी के प्रति जूनूनवाली महिला थी।
3. वे हमेशा खद्दर की साडी पहनती थी। वे आजीवन गाँधीजी के सिधान्तों का पालन करती रही।
5. लेखिका की माँ आम भारतीय महिलाओं की तरह बच्चे संभालना, घर गृहस्थी और खाना पकाने तक अपने आप को सिमित नहीं रखना चाहती।
लेखिका की माँ परम्परा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी। इस कथन के आलोक में -
लेखिका की दादी के घर के महौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।
लेखिका की दादी के घर का माहौल उस समयानुसार काफ़ी अलग था। लेखिका की दादी के घर में कुछ लोग जहाँ अंग्रेज़ियत के दीवाने थे, वहीं कुछ लोग भारतीय नेताओं के मुरीद भी थे। घर में बहुमति होने के बाद भी एकता का बोलबाला था। घर में किसी प्रकार की संकीर्णता नहीं थी। सभी लोग अपनी-अपनी स्वतंत्रता एवं निजता बनाए रख सकते थे। घर के बच्चों के पालन-पोषण में घर के सभी लोग जिम्मेदार थे। कोई भी सदस्य अपने विचार किसी पर थोप नहीं सकता था। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि घर का माहौल अमन-चैन से भरपूर और सुखद था।
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