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अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन
निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
कवि ने ‘अग्नि पथ’ किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?
‘अग्नि पथ’ का अर्थ है- आग से घिरा रास्ता अर्थात कठिनाईयों से भरा रास्ता। अग्नि पथ को कवि ने संघर्षमय जीवन के प्रतीक रूप में प्रस्तुत किया है। कवि का मानना है कि जीवन में कदम-कदम पर संकट है, चुनौतियाँ है। अपने जीवन पथ पर संघर्ष के मार्ग में अनेक प्रकाश के कष्टों का सामना करना पड़ता है।
निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
‘माँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?
कविता में कवि द्वारा प्रयोग किए गए इन शब्दों की पुनरावृत्ति मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। कवि के अनुसार मनुष्य को संघर्षमय जीवन में स्वयं के लिए सुखों की अभिलाषा नहीं रखनी चाहिए क्योंकि सुविधाभोगी मनुष्य का संघर्ष शक्ति समाप्त हो जाती है। कर शपथ की पुनरावृत्ति द्वारा कवि यह कहना चाहता है कि मनुष्य को लक्ष्यप्राप्ति के पथ पर बाद में आने वाली कठोर परिस्थितियों से पीछे नहीं हटना चाहिए तथा लथपथ के प्रयोग द्वारा वह यह कहना चाहता है कि मनुष्य को अपने लक्ष्य केंद्रित कर जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। बार-बार इन शब्दों का प्रयोग कवि ने अपने लक्ष्य पर बल देने लिए किया है इसके अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न हो गया है।
निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
'एक पत्र-छाँह भी माँग मत' इन पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
कवि ने अग्नि पथ पर चलते हुए मनुष्य को छाँह माँगने के लिए मना किया है। वह चाहते हैं कि संघर्षशील मनुष्य दृढ़ संकल्पी बने। मार्ग में सुखरूपी छाँह की इच्छा न करके अपनी मंजिल की ओर दृढ्ता से आगे बढ़ता रहे। कवि के अनुसार मनुष्य यदि दूसरों की सहायता पर आश्रित होगा तो उसमें संघर्ष करने की शक्ति नहीं रहेगी। उसे सुविधा भोगने की आदत लग जाती है। वह संघर्ष की कठिनाईयों से बचने लगता है इसलिए कवि ने मनुष्य को यह प्रेरणा दी है कि वह दृढ़ संकल्प होकर मार्ग में आनेवाली कठिनाईयों का सामना करते हुए निरंतर अपने मार्ग पर अग्रसर होता रहे।
निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये -
तू न थमेगा कभी
तू न मुड़ेगा कभी
इसका आशय यह है कि मनुष्य को कष्टों से भरे मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए कभी पीछे नहीं मुड़ना चाहिए। इस मार्ग पर केवल अपने लक्ष्य को ध्यान, में रखकर आगे बढ़ना चाहिए। उसके जीवन में अकर्मण्यता का कोई स्थान नहीं होना चाहिए क्योंकि आगे बढ़ते रहना ही उसके जीवन का लक्ष्य है। वह संघर्षों से भी न घबराए। वह सुख त्यागकर अग्निपथ को चुनौती देता रहे।
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