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लाख की चूड़ियाँ
बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलूो काे ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ क्यों कहता था?
बचपन में जब लेखक गरमी की छुट्टियों में अपने मामा के घर रहने जाता तो उस ‘बदलू काका’ से लाख की रंग-बिरंगी गोलियाँ लेने का चाव होता था। ये गोलियां इतनी सुंदर होती थी कि कोई भी बच्चा इनकी और आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता था।
वह बदलू को ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ इसलिए कहता था क्योंकि गाँव के सारे बच्चे उस ‘बदलू काका’ के नाम से पुकारते थे।
वस्तु-विनिमय क्या है? विनिमय की प्रचलित पद्धति क्या है?
वस्तु-विनिमय अर्थात् वस्तुओं का आदान-प्रदान करना। पहले लोग एक वस्तु देकर दूसरे से दूसरी वस्तु ले लत थे जैसे बदलू चूड़ियाँ लोगों को देकर पैसे न लेकर आवश्यकता का सामान ले लिया करता था। यही वस्तु-विनिमय पद्धति थी। वर्तमान में विनिमय की प्रचलित पद्धति मुद्रा है अर्थात् धन देकर वस्तु खरीदना।
‘मशीनी युग ने कितने हाथ काट दिए हैं’ -इस पंक्ति में लेखक ने किस व्यथा की ओर संकेत किया हैं?
‘मशीनी युग ने कितने ही हाथ काट दिए हैं’ -इस पंक्ति के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि हाथ से किए जाने वाले उद्योग- धंधे मशीनों द्वारा किए जाने लगे हैं। ऐसे में हाथ से काम करने वाले लोग या तो बेरोजगार हो गए हैं या फिर अपने पैतृक (पूर्वजों के) कार्यों को छोड्कर दूसरे कार्य करने के लिए मजबूर हो गए हैं।
इस पाठ में भी जब लेखक को यह पता चलता है कि बदलू की हाथ से बनने वाली लाख की चूड़ियों का स्थान मशीन से बनने वाली काँच की चूड़ियों ने ले लिया है तो उसे बहुत दु:ख होता है।
बदलू के मन में ऐसी कौन-सी व्यथा थी जो लेखक से छिपी न रह सकी।
मशीनी काँच की चूड़ियों का चलन बढ़ जाने से बदलू की लाख की चूड़ियाँ अब कोई न खरीदता था। इसी कारण उसका चूड़ियों का काम बंद हो गया। यही व्यथा थी जिसे बदलू लेखक के समक्ष छिपा न सका।
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