Sponsor Area
ध्वनि
कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?
कवि को स्वयं पर दृढ़ विश्वास है कि वह अपनी कर्तव्यपरायणता तथा सक्रियता से विमुख होकर अपनै जीवन का अंत नहीं होने देगा। वह तो अपने यशस्वी कार्यो की आभा को वसंत की भाँति सुगंधित रूप में सब और फैलाना चाहता है।
फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास करता है?
कवि चाहता है कि वसंत के सुगंधित व आकर्षक फूल अनंतकाल तक खिलते रहें। इस हेतु वह उनका आलस्य व प्रमाद छीनकर उन्हें चिरकाल तक खिले रहने के लिए प्रेरित करता है। वह चाहता है कि वे फूल सदैव अपनी आभा, सौंदर्य व सुषमा की छटा वातावरण में बिखेरते रहें। वह उस अनंत व अदृश्य से सप्राण भेंट करना चाहता है।
कवि पुष्पों तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है?
कवि अपने हाथों के सुधा स्पर्श से पुष्पों की नींद व आलस्य मिटाकर उन्हैं चुस्त, प्राणवान, आभामय व पुष्पित करना चाहता है। ऐसा करने का उसका उद्देश्य है कि धरा पर जरा भी आलस्य, प्रमाद, निराशा व मायूसी का निशान तक न रहे। वह हर ओर वसंतकी भाँति हरियाली, सौंदर्य, सुख और आनंद की अनुभूति चाहता है ।
वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए।
ऋतुओं में ग्रीष्म, वर्षा, शरद तथा पतझड़ भी वातावरण को प्रभावित करते हैं लेकिन वसंत ऋतु के आते ही पसीना, ठिठुरना, कीचड़ आदि नकारात्मक तत्त्व नही होते। पुष्प स्वयं खिलते हैं। प्रकृति की नई सुषमा चारों और वातावरण में छा जाती है। आलस्य और निराशा दूर भाग जाते है। स्वास्थ्य, सौंदर्य और स्फुर्ति का वातावरण होता है। पक्षियों का कलरव चारों ओर सुनाई देता हे। बच्चे, बूढ़े सभी के चेहरों पर नया नूर झलकता है। प्रकृति के इसी परिवर्तन के कारण वसंत को ‘ऋतुराज’ या ‘ऋतुओं की रानी’ कहा जाता है।
Sponsor Area
Mock Test Series
Mock Test Series



