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एक तिनका
नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को सामान्य वाक्य में बदलिए।
जैसे-एक तिनका आँख में मेरी पड़ा-मेरी आँख में एक तिनका पड़ा।
मूँठ देने लोग कपड़े की लगे-लोग कपड़े की मूँठ देने लगे।
(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा- …………………………………………
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी- …………………………………………
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी- …………………………………………
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया- ………………………………….
(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा – एक दिन जब मुंडेरे पर खड़ा था।
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी – आँख भी लाल होकर दुखने लगी।
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी – बेचारी ऐंठ दबे पाँवों भागी।
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया – जब तिनका किसी ढब से निकल गया।
‘एक तिनका’ कविता में किस घटना की चर्चा की गई है, जिससे घमंड नहीं करने का संदेश मिलता है?
कवि ने उस दिन की घटना कही है, जब घमंड में चूर उसका विवेक समाप्त हो गया था। वह स्वयं को श्रेष्ठ समझता था। एक दिन उसकी आँख में एक तिनका गिर गया। तिनके के कारण उसकी आँख लाल हो गई। दर्द के मारे वह रो पड़ा। लोगों ने उसका बहुत इलाज किया लेकिन उसको आराम नहीं मिला। जब तिनका स्वयं ही आँख से निकल गया, तब जाकर उसे आराम मिला। इस घटना ने लेखक का सारा घमंड चूर-चूर कर दिया। उसकी आँखें खुल गई। उसे अपनी गलती का अहसास हुआ और उसका व्यवहार बदल गया। इस घटना के माध्यम से कवि ने संदेश दिया है कि हमें स्वयं पर कभी अभिमान घमंड नहीं करना चाहिए। घमंड हमारे गुणों को समाप्त कर देता है और हमें जानवर बना देता है। इसलिए हमें चाहिए कि हम अपने अभिमान घमंड का त्याग करें।
आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की क्या दशा हुई?
आँख में तिनका पड़ते ही घमंडी की आँखे दर्द से लाल हो गई। उसने अनेकों प्रयत्न किए, सब लोगों की मदद ली। किसी ने कपड़े की सहायता से उसे निकालने का प्रयत्न किया परन्तु सब बेकार ही सिद्ध हुआ। वो दर्द से कराह रहा था पर कुछ कर नहीं पा रहा था। उसका घंमड दूर हो गया।
घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास लोगों ने क्या किया?
घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए लोगों ने कपड़े की मूंठ बनाकर तिनके को निकालने का प्रयत्न किया जो विफल रहा।
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