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हम पंछी उन्मुक्त गगन के
हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद क्यों नहीं रहना चाहते ?
पक्षी के पास वो सारी सुख सुविधाएँ हैं, जो उनके जीवन के लिए आवश्यक है। परन्तु वह स्वतन्त्रता नहीं है, जो उन्हें प्रिय हैंं। वे इस खुले आकाश में आज़ादीपूर्वक उड़ना चाहते हैं। इस प्रकार की उड़ान उनमें नई उमंग व प्रसन्नता भर देती है, जो पिंजरे की सुख-सुविधाएँ नहीं दे सकती है। इसलिए हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद नहीं रहना चाहते हैं।
पक्षी उन्मुक्त रहकर अपनी कौन-कौन सी इच्छाएँ पूरी करना चाहते हैं ?
पक्षी उन्मुक्त रहकर जंगल की कड़वी निबौरी खाना चाहते हैं, प्रकृति के सुन्दर रूप का आनन्द लेना चाहते हैं, खुले नीले आकाश में उन्मुक्त उड़ान भरना चाहते हैं। वे नदियों का शीतल जल पीना चाहते हैं, वे तो क्षितिज के अन्त तक उड़कर जाना चाहते हैं। इसके लिए उनको अपने प्राणों की भी चिन्ता नहीं है।
भाव स्पष्ट कीजिए-
या तो क्षितिज मिलन बन जाता/या तनती साँसों की डोरी।
क्षितिज का अर्थ है जहाँ धरती आकाश मिलते हैं और पक्षी क्षितिज के अन्त तक जाने की लालसा रखते हैं फिर चाहे उन्हें किसी भी स्थिति का सामना करना पड़े। वो चाहते हैं या तो आज वह क्षितिज का अन्तिम छोर ही प्राप्त कर लें अन्यथा अपने प्राणों को न्योछावर कर दें।
स्वर्ण-श्रृंखला और लाल किरण-सी में रेखांकित शब्द गुणवाचक विशेषण हैं। कविता से ढूँढ़कर इस प्रकार के तीन और उदाहरण लिखिए।
(i) पुलकित-पंख
(ii) कड़वा-निबौरी
(iii) उन्मुक्त-गगन
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