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हरिवंशराय बच्चन
दिये गये काव्याश का सप्रसंग व्याख्या करें?
मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ,
फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ;
कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर
मैं साँसों के वो तार लिए फिरता हूँ!
मैं स्नेह-सुरा का पान किया करता हूँ,
मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ,
जग पूछ रहा उनको, जो जग की गाते,
मैं अपने मन का गान किया करता हूँ!
प्रसंग: प्रस्तुत काव्याशं आधुनिक युग के प्रसिद्ध कवि हरिवंशराय ‘बच्चन’ द्वारा रचित कविता ‘आत्म-परिचय’ से अवतरित है। इसमें कवि अपने जीवन को जीने की शैली का परिचय देता है। समाज में रहकर व्यक्ति को सभी प्रकार के अनुभव होते हैं। कभी ये अनुभव मीठे होते हैं तो कभी खट्टे। इस दुनिया से कवि का सबंध प्रीति- कलह का है। कवि इस कविता में दुनिया से अपने द्विधात्मक और द्वंद्वात्मक सबंधी को उजागर करता है।
व्याख्या: कवि कहता है कि मैं इस संसारिक जीवन का भार अपने ऊपर लिए हुए फिरता रहता हूँ। इसके बावजूद मेरे अपने जीवन में प्यार का भी समावेश है। यह एक द्वंद्वात्मक स्थिति है। किसी प्रिय ने उसके हृदय की भावनाओं को स्पर्श करके उसकी हृदय रूपी वीणा के तारो को झनझना दिया अर्थात् उसके हृदय में प्रेम की लहर उत्पन्न कर दी। वह तो साँसों के केवल दो तार ही हुए जी रहा है।
कवि कहता है कि वह प्रेम रूपी मदिरा को पीकर मस्त रहता है। वह इस प्रेम रूपी मदिरा को पीकर इसकी मस्ती में डूबा रहता है। वह इस मस्ती में कभी भी संसार की बातों का ध्यान नहीं करता। संसार के लोग क्या कहते हैं, उसे इसकी परवाह नहीं है। यह संसार उनकी पूछ-ताछ करता है जो उसके कहने पर चलते हैं। इसके विपरीत कवि तो अपने मन के अनुसार गाता है अर्थात कवि संसार के बताए इशारों पर नहीं चलता वह तो अपने मन का बात सुनता है और वही करता है। वह (कवि) तो अपने लिए अपने मन के अनुसार गीत गाता रहता है।
कवि ने अपने जीवन के बारे में क्या कहा है?
कवि ने अपने जीवन के बारे मे यह कहा है कि वह अपने सांसारिक जीवन के भार को निरंतर वहन करते हुए अपना जीवन-यापन कर रहा है। इससे वह दुखी नहीं होता। उसके जीवन में प्यार का भी समावेश है।
कवि अपने विगत जीवन के बारे में क्या बताता है?
कवि अपने विगत जीवन को स्मरण करते हुए कहता है कि उसके जीवन में किसी ने (प्रिय ने) पदार्पण किया था और अपने प्रेम भरे हाथों से उसकी हृदय-वीणा के तारों को झंकृत कर दिया था। वह आज भी उनकी यादों के रूप मे अपनी साँसों के दो तार लिए हुए जी रहा है।
कवि किसका पान किया करता है और इससे उसकी हालत कैसी हो जाती है?
कवि स्नेह (प्रेम) रूपी मदिरा का पान किया करता है। वह इस प्रेम रूपी मदिरा को पीकर इसकी मस्ती में डूबा रहता है। इससे वह अपने में ही मग्न रहता है।
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