स्पीति में बारिश

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Question
CBSEENHN11012064

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
स्पीति हिमालय प्रदेश के लाहुल-स्पीति जिले की तहसील है। लाहुल-स्पीति का यह योग भी आकस्मिक ही है। इनमें बहुत योगायोग नहीं है। ऊँचे दरों और कठिन रास्तों के कारण इतिहास में भी कम रहा है। अलंध्य भूगोल यहां इतिहास का एक बड़ा कारक है। अब जबकि संचार में कुछ सुधार हुआ है तब भी लाहुल--स्पीति का योग प्राय: ‘वायरलेस सेट’ के जरिए, जो केलंग और काजा के बीच खड़कता रहता है। फिर भी केलंग के बादशाह को भय लगा रहता है कि कहीं काजा का सूबेदार उसकी अवज्ञा तो नहीं कर रहा है? कहीं बगावत तो नहीं करने वाला है? लेकिन सिवाय वारयरलेस सेट पर संदेश भेजने के वह कर भी क्या सकता है? वसंत में भी 170 मील जाना-आना कठिन है। शीत में प्राय: असंभव है।
1. स्पीति कहाँ स्थित है? इसका इतिहास में बहुत कम उल्लेख क्यों है?
2. अब किस क्षेत्र में सुधार हुआ है? इससे केलग के बादशाह को क्या भय लगा रहता है?
3. यहाँ के मौसम का आवागमन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

Solution

1. स्पीति हिमाचल प्रदेश के लाहुल-स्पीति जिले की एक तहसील है। लाहुल-स्पीति का योग भी आकस्मिक ही है। यहाँ ऊँचे-ऊँचे दर्रे हैं, कठिन रास्ते हैं, अत: आना-जाना कठिन है। इसी कारण इतिहास में स्पीति का उल्लेख ‘न’ के बराबर ही हुआ है।
2. अब संचार के क्षेत्र में सुधार हुआ है। अब लाहुल-स्पीति का मेल वायरलेस सेट के जरिए हो जाता है। केलंग के राजा को यह भय लगा रहता है कि कहीं काजा क। सूबेदार उसकी आज्ञा का उल्लंघन तो नहीं कर रहा? कहीं कोई बगावत पर तो उतारू नहीं है।
3. स्पीति का मौसम बहुत ठंडा होता है। वसंत के अल्पकाल में भी 170 मील आना-जाना कठिन है। शीत ऋतु में तो यह प्राय: असंभव ही है।

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Question
CBSEENHN11012065

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
लाहुल-स्पीति का प्रशासन ब्रिटिश राज से भारत को जस का तस मिला। अंग्रेजों को यह 1846 ई. में कश्मीर के राजा गुलाबसिंह के जरिए मिला। अंग्रेज इनके जरिए पश्चिमी तिब्बत के ऊन वाले क्षेत्र में प्रवेश चाहते थे। तिब्बत में अंग्रेजी साम्राज्य के दूरगामी हित भी थे। जो भी हो, 1846 में कुल्लु लाहुल, स्पीति ब्रिटिश अधीनता में आए। पहले सुपरिंटेंडेंट के अधीन थे। फिर 1847 में वे कांगड़ा जिले में शरीक कर दिए गए। लद्दाख मंडल के दिनों में भी स्पीति का शासन एक नोनो द्वारा चलाया जाता था। ब्रिटिश भारत में भी कुल्लू के असिस्टेंट कमिश्नर के समर्थन से यह नोनो कार्य करता रहा। इसका अधिकार- क्षेत्र केवल द्वितीय दरजे के मजिस्ट्रेट के बराबर था। लेकिन स्पीति के लोग इसे अपना राजा ही मानते थे। राजा नहीं है तो दमयंती जी को रानी मानते हैं।
1. लाहुल स्पीति का शासन किसको, किससे कब मिला?
2. अंग्रेज स्पीति के जरिए क्या लाभ उठाना चाहते थे? उनका कार्य कौन करता था?
3. स्पीति के लोग किसे राजा-रानी मानते थे?

Solution

1. लाहुल-स्पीति का शासन पहले तो 1846 में कश्मीर के राजा गुलाब सिंह से अंग्रेजों को मिला। भारत के स्वतंत्र होने पर अंग्रेजों ने इसे जैसा का तैसा भारत को सौंप दिया।
2. अंग्रेज स्पीति के जरिए पश्चिमी तिब्बत के ऊन वाले -क्षेत्र में प्रवेश करना चाहते थे। तिब्बत में अंग्रेजी साम्राज्य के दूरगामी हित भी थे। इस क्षेत्र को 1847 में काँगड़ा जिले में शामिल कर लिया गया। स्पीति का शासन एक नोनो द्वारा चलाया जाता था। ब्रिटिश भारत में भी कुल्लू के असिस्टेंट कमिश्नर के समर्थन से यह नोनो कार्य करता रहा। इसका अधिकार क्षेत्र केवल दूसरे दर्जे कं मजिस्ट्रेट के समान था।
3. स्पीति के लोग नोनो को ही अपना राजा मानते थे। राजा के न होने पर दमयंती जी को अपनी रानी मानते थे।

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CBSEENHN11012066

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
इस व्यथा की कथा इन पहाड़ों की ऊँचाई के आँकडों में नहीं कही जा सकती। फिर भी जो सुंदरता को -इंच में मापने के अभ्यासी हैं वे भला पहाड़ को कैसे बख्श सकते हैं। वे यह जान लें कि स्पीति मध्य हिमालय की घाटी है। जिसे वे हिमालय जानते हैं-स्केटिंग, सौंदर्य प्रतियोगिता, आइसक्रीम और खोले- मठुरे का कुल्लू-मनाली, शिमला, मसूरी, नैनीताल, श्रीनगर वह सब हिमालय नहीं है। हिमालय का तलुआ है। शिवालिक या पीरपंचाल या ऐसा ही कुछ उसका नाम है यह तलहटी है। रोहतांग जोत के पार मध्य हिमालय है। इसमें ही लाहुल-स्पीति की घाटियां हैं। इन घाटियों की औसत ऊंचाई नापी गई है। श्री कनिंघम के अनुसार लाहुल की समुद्र की सतह से ऊंचाई 10,235 फीट है। स्पीति की 12,986 फीट है। यानी लगभग 13,000 फीट तो औसत ऊंचाई है।
1. स्पीति के बारे में क्या जानना आवश्यक है?
2. क्या हिमालय नहीं है?
3. लाहुल-स्पीति की घाटियाँ कहाँ हैं? इनकी ऊँचाई क्या है?

Solution

1. स्पीति के बारे में यह जानना आवश्यक है कि पहाड़ों की व्यथा-कथा को केवल ऊँचाई के पैमाने से नहीं जाना जा सकता। सुंदरता एक अलग चीज है, इसे इंचों से नहीं मापा जा सकता। स्पीति को सुंदरता की दृष्टि से देखना होगा।
2. सामान्यत: लोग हिमालय को इस रूप में जानते हें-वहाँ स्केटिंग और सौंदर्य प्रतियोगिताएँ आयोजित होती हैं। वहाँ आइसक्रीम और छोले- भठुरे खाए जाते है। ये बातें तो कुरु-मनाली, शिमला, मसूरी, नैनीताल और श्रीनगर में होती हैं। वास्तव में यह सब हिमालय नहीं है, हिमालय का तलुआ है।
3. स्पीति मध्य हिमालय की घाटी है। लाहुल-स्पीति की घाटियों की औसत ऊँचाई नापी गई है। लाहुल की ऊँचाई समुद्र की सतह से 10,535 फीट है और स्पीति की 12,986 फीट है। औसत ऊँचाई 13,000 फीट है।

Question
CBSEENHN11012067

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
मध्य हिमालय की जो श्रेणियां स्पीति को घेरे हुए हैं उनमें से जो उत्तर में हैं उसे बारालाचा श्रेणियों का विस्तार समझें। बारालाचा दर्रे की ऊँचाई का अनुमान 16,221 फीट से लगाकर 16,500 फीट का लगाया गया है इस पर्वत- श्रेणी में दो चोटियों की ऊँचाई 21,000 फीट से अधिक है। दक्षिण में जो श्रेणी है वह माने श्रेणी कहलाती है। इसका क्या अर्थ है? कहीं यह बौद्धों के माने मंत्र के नाम पर तो नहीं है? ‘ओं मणि पसे हुं’ इनका बीज मंत्र है। इसका बड़ा माहात्म्य है। इसे संक्षेप में माने कहते हैं। कहीं इस श्रेणी का नाम इस माने के नाम पर तो नहीं है? अगर नहीं है तो करने जैसा है। यहां इन पहाड़ियों में माने का इतना बाप हुआ है कि यह नाम उन श्रेणियों को दे डालना ही सहज हैं।
1. बारालाचा श्रेणियों के बारे में क्या बताया गया है?
2. दक्षिण की श्रेणी क्या कहलाती है?
3. लेखक को माने नाम पड़ने का क्या कारण प्रतीत होता है?

Solution

1. मध्य हिमालय की कुछ श्रेणियाँ स्पीति के चारों ओर हैं। इनमें जो उत्तर की ओर हैं, वे बारालाचा श्रेणियों का विस्तार ही है। बारालाचा दर्रे की ऊँचाई का अनुमान 16,221 फीट से लेकर 16,500 फीट तक का है।
2. दक्षिण में जो पर्वत- श्रेणी है, वह माने श्रेणी कहलाती।
3. लेखक इस श्रेणी का नाम ‘माने’ रखा जाने पर विचार करता है। बौद्धों के एक मंत्र का नाम भी माने है। हो सकता है कि इस श्रेणी का नाम इसी मंत्र कै केम पर रखा गया हो। इन पहाड़ियों में माने मंत्र का बहुत अधिक जाप हुआ है, अत: यही नाम रखना उचित भी है।