निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
आप भी महसूस करते है न ऐसा ?... तो फिर साथ दीजिए हमारा। अखबार यदि किसी इश्यू को उठा ले और लगातार उस पर चोट करता रहे तो फिर वह थोड़े से लोगों की बात नहीं रह जाती। सबकी बन जाती है... आँख मूंदकर नहीं रह सकता फिर कोई उससे। आप सोचिए जरा, अगर इसके खिलाफ कोई नियम बनता है तो कितने पेरेंट्स को राहत मिलेगी...कितने बच्चों का भविष्य सुधर जाएगा, उन्हें अपनी मेहनत का फल मिलेगा, माँ-बाप के पैसे का नहीं शिक्षा के नाम पर बचपन से ही उनके दिमाग में यह तो नहीं भरेगा कि पैसा ही सब कुछ है...वे...वे...
1. यह बात कौन, किससे, कब कह रहा है?
2. कोई बात कब सबकी बन जाती हैँ?
3. वक्ता के प्रयासों का लाभ किसे मिलेगा?
1. यह बात रजनी अखबार के संपादक को तब कह रही है जब वह रजनी के इश्यू को अपना समर्थन देने का भरोसा देते हैं। संपादक का कहना है कि वे (रजनी) अखबार वालों को अपने साथ पाएँगी।
2. रजनी का ऐसा कहना है एकके जब कोई अखबार किसी इश्यू को उठा लेता है अर्थात् अपने अखबार में जोर-शोर से छापता है और उस पर चोट करता है तब वह बात थोड़े से लोगों की नहीं रह जाती, बल्कि सबकी हो जाती है।
3. वक्ता अर्थात् रजनी के प्रयासों का अनेक पेरेंट्स को लाभ मिलेगा। उनके बच्चों का भविष्य सुधर जाएगा। बच्चों को अपनी मेहनत का फल मिल सकेगा।