किशोरावस्था की ओर

Question
CBSEHHISCH8006462

सही विकल्प चुनिए-

निम्न में से कौन सा आहार किशोर के लिए सर्वोचित है:

  • चिप्स, नूडल्स, कोक

  • रोटी, दाल, सब्जियाँ

  • चावल, नूडल्स, बर्गर

  • शाकाहारी टिक्की,चिप्स तथा लेमन पेय

Solution

B.

रोटी, दाल, सब्जियाँ

Question
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ऐडॅम्स ऐपॅल

Solution

ऐडॅम्स ऐपॅल- यौवनारम्भ मर स्वरयंत्र अथवा लैरिन्कस में वृद्धि का प्रारम्भ होता है। लड़कों का स्वरयंत्र विकसित होकर बड़ा हो जाता है। लड़कों में बढ़ता हुआ 'स्वरयंत्र' गले के सामने की ओर सुस्पष्ट उभरे भाग के रूप में दिखाई देता है जिसे ऐडॅम्स ऐपॅल कहते है। इसके बाहर की ओर होने से लड़कों की आवाज भारी और फटी हुई लगती है। लड़कियों में 'स्वरयंत्र' अपेक्षाकृत छोटा होता है जो बाहर से सामान्यत: दिखाई नहीं देता।

Question
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गौण लैंगिक लक्षण

Solution

 

गौण लैंगिक लक्षण- हमारे शरीर में अंत:स्रावित ग्रंथियाँ, वृषण एवं अंडाशय लैंगिक हार्मोन स्रावित करते हैं। यह हार्मोन गौण लैंगिक लक्षणों के लिए उत्तरदायी हैं, जो लड़कों को लड़कियों से अलग पहचानने में सहयता करते हैं। जैसे युवैस्था में लड़कियों में स्तनों का विकास होता है तथा लड़कों के चेहरे पर बल उगने लगते है अर्थात दाढ़ी-मूँछ आने लगती है। इसलिए इन्हे लिंग हार्मोन कहते हैं। ये भी पियूष ग्रंथि द्वारा स्रावित हार्मोन के नियंत्रण में हैं। लड़कों के सीने पर भी बाल आ जाते हैं। लड़कों और लड़कियों दोनों के बगल एवं जाँघ के ऊपरी भाग या प्यूबिक क्षेत्र में भी बाल आ जाते हैं। किशोरावस्था में होने वाले ये परिवर्तन हार्मोन द्वारा नियंत्रित होते हैं। ये हार्मोन अंत:स्त्रावी ग्रंथियाँ अथवा अंत:स्रावित तंत्र द्वारा स्रावित किये जाते हैं।

Question
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गर्भस्थ शिशु में लिंग निर्धारण

Solution

गर्भस्थ शिशु में लिंग निर्धारण- निषेचित अंडाणु अथवा युग्मनज में, जन्म लेने वाले शिशु के लिंग मिर्धारण का संदेश होता है। इन युग्मक में गुणसूत्रीं का एक जोड़ा होता है। अंडाणु में सदा X गुणसूत्र होता है परंतु शुक्राणु में दोनों प्रकार के गुणसूत्र X और Y होते हैं। जब X गुणसूत्र वाला शुक्राणु अंडाणु को निषेचित करता है तो मादा शिशु विकसित होता है और जब Y गुणसूत्र वाला शुक्राणु अंडाणु को निषेचित करता है तो नर शिशु विकसित होता है। इस से यह कहा जा सकता है की XX मिलके लड़की का विकास होता है और XY मिलके लड़के का विकास होता है।

इस प्रकार हम यह कह सकते है कि गर्भस्थ में शिशु में लिंग निर्धारण के लिए पिता के लिंग गुणसूत्र हैं।