विभाजन को दक्षिणी एशिया के इतिहास में एक ऐतिहासिक मोड़ क्यों माना जाता है?
भारत का विभाजन 1947 में हुआ जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान का अस्तित्व एक नए देश के रूप में जनता के सामने आया। इस विभाजन को दक्षिणी एशिया के इतिहास में एक ऐतिहासिक मोड़ माना जाता है। निम्नलिखित तथ्य भी इस बात की पुष्टि करते हैं:
- नि:संदेह, यह विभाजन स्वयं में अतुलनीय था, क्योंकि इससे पूर्व किसी अन्य विभाजन में न तो सांप्रदायिक हिंसा का इतना तांडव नृत्य हुआ और न ही इतनी विशाल संख्या में निर्दोष लोगों को अपने घरों से बेघर होना पड़ा।
- दोनों देशों की जनता के बीच बड़े पैमाने पर मारकाट तथा आगजनी हुई। सदियों से एक-दूसरे के साथ भाई-चारे से रहने वाले लोग ही आपस में एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए।
- विद्वानों के अनुसार विभाजन के परिणामस्वरूप लगभग 1 करोड़ 50 लाख लोग अगस्त, 1947 से अक्टूबर, 1947 के बीच सीमा पार जाने को विवश हुए। विश्व इतिहास में ऐसा कष्टदायक विस्थापन नहीं मिलता।विस्थापन का अर्थ हैं लोगों का अपने घरों से उजड़ जाना।
- दोनों ओर के कट्टरपंथियों के मन में एक-दूसरे के प्रति सदा के लिए ज़हर भर गया। पाकिस्तान तथा भारत के कट्टरपंथी आज भी समय-समय पर एक-दूसरे के विरुद्ध ज़हर उगलते रहते हैं।
- विद्वानों के अनुसार विभाजन के परिणामस्वरूप होने वाली हिंसा इतनी भीषण थी कि इसके लिए विभाजन, बँटवारे अथवा 'तक़सीम जैसे शब्दों का प्रयोग करना सार्थक प्रतीत नहीं होता।