बहुत सारे स्थानों पर विद्रोही सिपाहियों ने नेतृत्व सँभालने के लिए पुराने शासकों से क्या आग्रह किया?
बहुत सारे स्थानों पर विद्रोही सिपाहियों (सैनिकों) ने नेतृत्व संभालने के लिए पुराने अपदस्थ शासकों से आग्रह किया कि वे विद्रोह का नेतृत्व प्रदान करें क्योंकि वे जानते थे कि नेतृत्व व संगठन के बिना अंग्रेजों से लोहा नहीं लिया जा सकता। इस उद्देश्य से विद्रोहियों ने ऐसे लोगों की शरण ली जो अंग्रेज़ों से पहले नेताओं की भूमिका निभाते थे:
- सबसे पहले मेरठ के विद्रोही सिपाही दिल्ली गए और उन्होंने वृद्ध मुगल सम्राट से विद्रोह का नेतृत्व करने का आग्रह किया। बहादुरशाह इस समाचार पर भयभीत और बेचैन दिखाई दिए। उन्होंने नामा पत्र का नेता बनने की जिम्मेदारी तभी स्वीकार की जब कुछ सिपाही शाही शिष्टाचार की अवहेलना करते हुए दरबार तक आ चुके।
- कानपुर में सिपाहियों और शहर के लोगों ने पेशवा बाजीराव द्वितीय के उत्तराधिकारी नाना साहिब को विद्रोह की बागडोर सँभालने के लिए मजबूर किया।
- झाँसी की रानी को आम जनता के दबाव में विद्रोह का नेतृत्व संभालना पड़ा। कुछ ऐसी स्थिति बिहार में आरा के स्थानीय जमीदार कुँवर सिंह की थी।
- अवध (लखनऊ) में नवाब वाजिद अली शाह जैसे लोकप्रिय शासक को गद्दी से हटा देने और उनके राज्य पर अधिकार कर लेने की यादें लोगों के मन में अभी ताज़ा थीं। लखनऊ में ब्रिटिश राज के ढहने समाचार पर लोगों ने नवाब के युवा पुत्र बिरजिस कद्र को अपना नेता घोषित कर दिया था।