आम तौर पर एक स्वस्थ और उत्पादक जीवन जीने के लिए व्यक्ति की न्यूनतम बुनियादी जरूरतें क्या मानी गई है ? इस न्यूनतम को सुनिश्चित करने में सरकार की क्या जिम्मेदारी है ?
विभिन्न सरकारों और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) जैसे संगठनों ने लोगों की बुनियादी आवश्यकताओं की गणना के लिए विभिन्न तरीके ईजाद किए हैं। इसमें स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक पोषक तत्त्वों की बुनियादी मात्रा, आवास, शुद्ध पेयजल की आपूर्ति, शिक्षा और न्यूनतम मज़दूरी इन बुनियादी स्थितियों के महत्वपूर्ण हिस्से है।
हालाँकि, नागरिकों के लिए इन बुनियादी शर्तों की पूर्ति, भारत जैसे गरीब देश में सरकार पर बोझ ड़ालती है। फिर भी गरीबों को उनके वर्ग, जाति, नस्ल या लिंग आधार पर बिना भेदभाव के न्यूनतम सुविधाएं मुहैया कराने की ज़िम्मेदारी सरकार की ही हैं:
- सरकार विभिन्न प्रकार के कानूनों का निर्माण करके ऐसी परिस्थितियाँ पैदा कर सकती है, जिससे सभी व्यक्तियों की न्यूनतम ज़रूरतें पूरी हों सकें।
- मुक़्त बाज़ार विचारधारा के समर्थक निजी एजेंसियों द्वारा वस्तुएँ और सेवाएँ प्रदान करने के पक्ष में हैं तथा राज्य की नीतियाँ इन सेवाओं को खरीदने के लिए लोगों को सशक्त बनाने की कोशिश करने की होनी चाहिए। हालाँकि अंत में मुक्त बाजार ताकतवर, धनी और प्रभावशाली लोगों के हित में काम करने को ही प्रवृत्त होता है।
- सरकार अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों में निजी एजेंसियों के हस्तक्षेप की जाँच करती है ताकि वस्तुएँ और सेवाएँ बाजार में कमजोर वर्गों की पहुँच से बहार न हों।
- स्वास्थ्य सेवा और आवास के मामले में भी सच यही है। इन परिस्थितियों में सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ता है।