विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

Question
CBSEHHISCH10015309

मान लीजिए आप किसी चैंबर में अपनी पीठ को किसी दीवार से लगाकर बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार के सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिजतः गमन करते हुए किसी प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा आप के दायीं ओर विक्षेपित हो जाता है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?

Solution

फ्लेमिंग के वामहस्त नियम के अनुसार, चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा नीचे की ओर होगी।
ध्यान दीजिए: विद्युत् धारा की दिशा इलेक्ट्रॉन पुंज के विपरीत होती है।

 

Question
CBSEHHISCH10015310

परिनालिका चुम्बक की भाँति कैसे व्यवहार करती है? क्या आप किसी छड़ चुम्बक की सहायता से किसी विद्युत् धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं? 

Solution

परिनालिका चुम्बक की भाँति व्यवहार करती है। जब परिनालिका द्वारा विद्युत् धारा प्रवाह की जाती है तो इसके भीतर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा समान हो जाती है और इसका एक सिरा उत्तर ध्रुव तथा दूसरा सिरा दक्षिण ध्रुव की तरह व्यवहार करता है।


 
चित्र: परिनालिका का चुम्बकीय क्षेत्र 
किसी छड़ चुम्बक की सहायता से की विद्युत् धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं। यदि छड़ चुम्बक का उत्तर ध्रुव परिनालिका के एक सिरे की तरफ आकर्षित होता है तो वह सिरा परिनालिका का दक्षिण ध्रुव है और यदि उनके बीच प्रतिकर्षण होता है तो वह सिरा परिनालिका का उत्तर ध्रुव है।
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चित्र: छड़ चुम्बक का चुम्बकीय क्षेत्र 

Question
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विद्युत् मोटर का नामांकित आरेख खींचिए। इसका सिद्धांत तथा कार्य विधि स्पष्ट कीजिये। विद्युत् मोटर में विद्युत् मोटर का क्या महत्व है? 

Solution

विद्युत् मोटर एक प्रकार का यंत्र है जो विद्युत् ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
सिद्धांत: जब किसी कुंडली को चुम्बकीय धारा में रखकर उसमें विद्युत् धारा प्रवाहित की जाती है तो उसमें एक बल कार्य करता है जो कुंडली को उसके अक्ष पर घुमाता है।


चित्र: दिष्ट विद्युत् मोटर 
 
रचना: एक विद्युत् मोटर के निम्नलिखित मुख्य भाग होते हैं -
1. चुंबक: एक शक्तिशाली अवतल बेलनाकार चुंबक जैसे नाल चुंबक का कार्य है शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र बनाना।
2. कुंडली: एक आयताकार लोहे के टुकड़े पर तांबे की तार लपेटकर उसे कुंडली का रूप दिया जाता है। जिसमें विद्युत् धारा प्रवाह की जाती है और इसे चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है जिससे इस पर बल लगता है और ये अपने अक्ष पर घूमता है। चित्र में ABCD कुंडली को दर्शाया गया है।
3. विभक्त वलय: यह अर्धगोल छल्ले होते हैं और एक दिक्परिवर्तक का कार्य करते हैं। ये कुंडली के दोनों सिरों से परस्पर जुड़ी होती हैं और कुंडली के अर्ध घूर्णन के बाद ये विद्युत् धारा को उत्क्रमित करतीं हैं। चित्र में इन्हें S1 और S2  से दर्शाया गया है। 
4. ब्रुश: B1 और B2 दो ग्रेफाइट या लचीले धातु की छड़ें हैं जो अर्धगोल छल्लों से परस्पर जुड़े होते हैं और इनका काम कुंडली को निरंतर विद्युत् धारा भेजना है।
5. बैटरी: दिष्ट विद्युत् धारा या अनेक सेलों की बैटरी को विद्युत् शक्ति के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। इसका काम कुंडली को विद्युत् धारा उपलब्ध कराना है।
कार्य: शुरुआत में जब कुंडली ABCD को शक्तिशाली चुंबकों के मध्य में रखा जाता है तो कुंडली चुंबकों के जोड़ों के बीच सामानांतर होती है। जब कार्बन ब्रुशों B1 और B2 से होते हुए अर्धगोल छल्लों S1 और S2 द्वारा कुंडली में से विद्युत् धारा प्रवाह की जाती है (जैसे चित्र 1 में विद्युत् धारा की दिशा C से डी और A से B की ओर है) तो कुंडली चुंबकीय जोड़े के प्रभाव से घूम जाती है (चित्र 1 में CD खंड ऊपर की ओर तथा AB भाग नीचे की ओर घूम जाता है)। और कुंडली वामावर्ती घूमने लगती है। S1 और S2 कुंडली के अर्धचक्र के बाद विद्युत् धारा की दिशा उत्क्रमित करते हैं और इसी प्रकार कुंडली निरंतर घूमती रहती है।

Question
CBSEHHISCH10015312

कुछ ऐसी युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत् मोटर उपयोग किए जाते हैं।

Solution

उपकरण जैसे विद्युत् पंखों, मिश्रकों, कम्प्यूटरों, रेफ्रिजरेटरों, आदि में विद्युत् मोटर का उपयोग किया जाता है।