शमशेर बहादुर सिंह

Question
CBSEENHN12026223

कवि काली सिल और लाल केसर के माध्यम से क्या कहना चाहता है?

Solution

कवि के अनुसार काली सिल पर लाल केसर को रगड़ देने से उसमें लाली युक्त लालिमा दिखाई देने लगती है। इस प्रकार भोर के समय आसमान अंधकार के कारणकाला और उषा की लालिमा से युक्त होने पर काली सिल पर लाल केसर रगड़ने के समान दिखाई देता है।

Question
CBSEENHN12026224

स्लेट पर या लाल खड़िया चाक मल दी हो किसी ने -स्पष्ट करो।

Solution

प्रात:कालीन आसमान काली स्लेट के समान लगता है। उस समय की सूर्य की लालिमा ऐसे लगती है जैसे काली स्लेट पर लाल खड़िया चाक मल दी हो। कवि आकाश में उभरे लाल-लाल धब्बों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करता है।

Question
CBSEENHN12026225

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या  करें

नील जल में या

किसी की गौर, झिलमिल देह जैसे

हिल रही हो।

और .........

जादू टूटता है इस उषा का अब:

सूर्योदय हो रहा है।

Solution

प्रसंग: प्रस्तुत काव्यांश प्रसिद्ध प्रयोगवादी कवि शमशेरबहादुर सिंह द्वारा रचित कविता ‘उषा’ से अवतरित है। यहाँ कवि प्रातःकालीन दृश्य का मनोहारी चित्रण कर रहा है। प्रातःकाल आकाश में जादू होता-सा प्रतीत होता है। जो पूर्ण सूर्योदय के पश्चात् टूट जाता है।

व्याख्या: कवि सूर्योदय से पहले आकाश के सौंदर्य में पल-पल होते परिवर्तनों का सजीव अंकन करते हुए कहता है कि ऐसा लगता है कि मानो नीले जल में किसी गोरी नवयुवती का शरीर झिलमिला रहा है। नीला आकाश नीले जल के समान है और उसमे सफेद चमकता सूरज सुंदरी की गोरी देह प्रतीत होता है। हल्की हवा के प्रवाह के कारण यह प्रतिबिंब हिलता- सा प्रतीत होता है।

इसके बाद उषा का जादू टूटता-सा लगने लगता है। उषा का जादू यह है कि वह अनेक रहस्यपूर्ण एवं विचित्र स्थितियाँ उत्पन करता है। कभी पुती स्लेट कभी गीला चौका, कभी शंख के समान आकाश तो कभी नीले जल में झिलमिलाती देह-ये सभी दृश्य जादू के समान प्रतीत होते हैं। सूर्योदय होते ही आकाश स्पष्ट हो जाता है और उसका जादू समाप्त हो जाता है।

Question
CBSEENHN12026226

कवि ने नीले जल में झिलमिलाते गौर वर्ण शरीर किसे कहा है?

Solution

कवि ने नीले आकाश में चमकते सूरज को नीले जल में झिलमिलाती गौरवर्ण नवयुवती कहा है। नीला आकाश नीले जल के समान है और सफेद चमकता हुआ सूरज सुंदरी की गोरी देह सा प्रतीत होता है।