विदाई - संभाषण

Sponsor Area

Question
CBSEENHN11012010

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
बिछड़न-समय बड़ा करुणोत्पादक होता है। आपको बिछड्ते देखकर आज हृदय में बड़ा दु:ख है।. माइ लॉर्ड। आपके दूसरी बार इस देश में आने से भारतवासी किसी प्रकार प्रसन्न न थे। वे यही चाहते थे कि आप फिर न आवे। पर आप आए और उससे यहाँ के लोग बहुत ही दुःखित हुए। वे दिन-रात यही मनाते थे कि जल्द श्रीमान् यहां से पधारें। पर अहो! आज आपके जाने पर हर्ष की जगह विषाद होता है। इसी से जाना कि बिछड़न-समय बड़ा करुणोत्पादक होता है, बड़ा पवित्र, बड़ा निर्मल और बड़ा कोमल होता है। वैर- भाव छूटकर शांत रस का आविर्भाव उस समय होता है।
1. बिछड़न का समय कैसा होता है?
2. भारतवासी क्या चाहते थे?
3. हर्ष की जगह विषाद क्यों होता है?

Solution

1. बिछड़न का समय बड़ा करुणोत्पदक होता है। लॉर्ड कर्जन के इस देश से बिछड़ने के समय लोगों के हृदय में बड़ा दुख है।
2. भारतवासी लॉर्ड कर्जन के इस देश में आने से प्रसन्न न थे। वे तो यही चाहते थे कि वे दुबारा यहाँ न आवे। पर वे यहाँ आए और लोग उससे बहुत दुखी हुए। वे दिन-रात यही मनाते थे कि लॉर्ड कर्जन इस देश से जल्दी-से-जल्दी चले जाएँ।
3. आपको न चाहने पर भी आपके यहाँ से जाने पर भारतवासियों के मन में हर्ष की जगह विषाद हो रहा है। इसी से पता चलता है कि बिछुड़त का समय बड़ा करुणादायक होता है।

Sponsor Area

Question
CBSEENHN11012011

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
आगे भी इस देश में जो प्रधान शासक आए, अंत में उनको जाना पड़ा। इससे आपका जाना भी परंपरा की चाल से कुछ अलग नहीं है, तथापि आपके शासन-काल का नाटक घोर दुखांत है, और अधिक आश्चर्य की बात यह है कि दर्शक तो क्या, स्वयं सूत्रधार भी नहीं जानता था कि उसने जो खेल सुखांत समझकर खेलना आरंभ किया था, वह दुखांत हो जावेगा। जिसके आदि में सुख था, मध्य में सीमा से बाहर सुख था, उसका अंत ऐसे शोर दुख के साथ कैसे हुआ? आह! घमंडी खिलाड़ी समझता है कि दूसरों को अपनी लीला दिखाता हूँ। किन्तु पर्दे के पीछे एक और ही लीलामय की लीला हो रही है, यह उसे खबर नहीं!
1. किस परंपरा का उल्लेख किया गया है?
2. अधिक आश्चर्य की बात क्या है?
3. घमंडी खिलाड़ी क्या समझता है? पर वास्तविकता क्या होती है?

Solution

1. लेखक ने उस परंपरा का उल्लेख किया है कि जो आता है, उसे जाना ही पड़ता है। पहले भी प्रधान शासक आते रहे हैं और उन्हें भी जाना पड़ा है। लॉर्ड कर्जन भी इसी परंपरा के एक अंग थे।
2. अधिक आश्चर्य की बात यह है कि दर्शक तो क्या स्वयं सूत्रधार भी नहीं जानता था कि उसने जो खेल सुखांत समझकर खेलना आरंभ किया था, वह दुखांत हो जाएगा। लॉर्ड कर्जन का आरंभ सुखी था, मध्य सुखी था, पर अंत घोर दुख में हुआ। भला यह कैसे हो गया?
3. घमंडी खिलाड़ी यह समझता है कि वह दूसरों को लीला दिखा रहा है, किन्तु पर्दे के पीछे एक और ही लीलामय की लीला चल रही होती है। उसे इसकी खबर नहीं होती।

Question
CBSEENHN11012012

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
इस बार बंबई में उतरकर माइ लॉर्ड! आपने जो इरादे जाहिर किए थे, जरा देखिए तो उनमें से कौन-कौन पूरे हुए? आपने कहा था कि यहां से जाते समय भारतवर्ष को ऐसा कर जाऊँगा कि मेरे बाद आने वाले बड़े लाटों को वर्षो तक कुछ करना न पड़ेगा, वे कितने ही वर्षो सुख की नींद सोते रहेंगे। किन्तु बात उलटी हुई। आपको स्वयं इस बार बेचैनी उठानी पड़ी है और इस देश में जैसी अशांति आप फैला चले हैं, उसके मिटाने में आपके पद पर आने वालों को न जाने कब तक नींद और भूख हराम करना पड़ेगा। इस बार आपने अपना बिस्तर गरम राख पर रखा है और भारतवासियों को गरम तवे पर पानी की बूँदों की भभाँतिनचाया है। आप स्वयं भी खुश न हो सके और यहां की प्रजा को सुखी न होने दिया, इसका लोगों के चित्त पर बड़ा ही दु:ख है।
1. लॉर्ड कर्जन ने बंबई उतरते समय क्या इरादा प्रकट किया था?
2. पर लॉर्ड कर्जन कर क्या गए?
3. अतंत: क्या परिणाम निकला?

Solution

1. लॉर्ड कर्जन ने बंबई में उतरते समय यह इरादा प्रकट किया कि मैं यहाँ से जाते समय भारतवर्ष को ऐसा कर जाऊँगा कि मेरे बाद आने वाले बड़े लाटों को वर्षों तक कुछ न करना पड़ेगा, वे वर्षों तक सुख की नींद सोते रहेंगे। पर बात उलटी हुई।
2. लॉर्ड कर्जन अपने कथन के विपरीत काम कर गए। लॉर्ड कर्जन इस देश में ऐसी अशांति फैला गए कि उसको मिटाने में आने वाले लाटों को नींद और भूख हराम करनी पड़ेगी उन्होंने अपना बिस्तर गरम राख पर रखा और भारतवासियों को खूब तंग रखा।
3. लॉर्ड कर्जन की कार्यवाही का अंतत: यह परिणाम निकला कि न तो वे स्वयं खुश रह सके न यहाँ की प्रजा ही रह पाई। इस बात का लोगों पर बड़ा बुरा प्रभाव पड़ा।

Question
CBSEENHN11012013

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
इस देश के हाकिम आपकी ताल पर नाचते थे, राजा-महाराजा डोरी हिलाने से सामने हाथ बाँधे हाजिर होते थे। आपके एक इशारे में प्रलय होती थी। कितने ही राजों को मिट्टी के खिलौने की भाँति आपने तोड़-फोड़ डाला। कितने ही मट्टी-काठ के खिलौने आपकी कृपा के जादू से बड़े-बड़े पदाधिकारी बन गए। आपके एक इशारे में इस देश की शिक्षा पायमाल हो गई, स्वाधीनता उड़ गई। बंग देश के सिर पर आरह रखा गया। आह, इतने बड़े माइ लॉर्ड का यह दर्जा हुआ कि फौजी अफसर उनके इच्छित पद पर नियत न हो सका और उनको उसी गुस्से के मारे इस्तीफा दाखिल करना पड़ा, वह भी मंजूर हो गया। उनका रखाय। एक आदमी नौकर न रखा, उल्टा उन्हीं को निकल जाने का हुक्म मिला!
1. लॉर्ड कर्जन की क्या हैसियत थी?
2. लॉर्ड कर्जन ने क्या- क्या बुरे काम किए?
3. लॉर्ड कर्जन का अपमान किस प्रकार हुआ?

Solution

1. इस देश में लॉर्ड कर्जन की हैसियत बहुत ऊँची थी। राजे-महाराजे उनके आगे हाथ बाँधे खड़े रहते थे। उनके एक इशारे पर प्रलय होती थी। उनकी कृपा से कई मूर्ख भी बड़े अफसर बन गए।
2. लॉर्ड कर्जन ने कई बुरे काम किए। उन्होंने इस देश की शिक्षा-व्यवस्था को भ्रष्ट कर दिया। यहाँ की स्वाधीनता भी खत्म हो गई। बंगाल को टुकड़ों में बाँट दिया।
3. लॉर्ड कर्जन ने एक फौजी अफसर को अपनी इच्छा के पद पर रखवाना चाहा, पर उनकी बात नहीं मानी गई। गुस्से में उन्होंने इस्तीफा दे दिया, जिसे मंजूर कर लिया गया। इस प्रकार लॉर्ड कर्जन का अपमान हुआ।